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Wednesday, May 25, 2011

दो साल हुवे जो संप्रग के, बस कथा है भ्रस्टाचार की 
आम जनो  के हार की, नोटों के व्यापार  की
गठबंधन के विस्तार की,राजा और कलमाड़ी के उद्धार की
राहुल के रोड शो के  भरमार की
इन सब में खास रही जो बात 
मनमोहन सिंह के धैर्य में वृद्धि के संचार की
माया, मोदी,अन्ना और बाबा  से तकरार की
तेल,शराब,कनस्टर में, अरहर की दाल और शक्कर में
हर पहलू पर मिली, सिर्फ और सिर्फ हार की
दो साल हुवे जो संप्रग के, बस कथा है भ्रस्ताचार की
आम जानो के हार की, नोटों के व्यापर की
                             सर्वेश मिश्र






Saturday, May 21, 2011

भूमि अधिग्रहण निति

                                                      

दुनिया की १२% और भारत की ७० % जनसँख्या भारत के गावों में निवास करती है| जिनमे से ५०% से ज्यादा कृषि पर आश्रित होते है| कितना ही महत्वपूर्ण विकाश क्यों न हो उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण होना ही नहीं चाहिए और यदि हो तो उसके बदले उन्हें वैसी ही उपजाऊ भूमि दूसरी जगह उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है न  की मुआवजा  देकर अपना पिंड छुड़ाना| भारत में किसानों  को अन्नदाता की संग्या  दी  जाती है, और जैसी घटना यू. पी. में हालताज में हुई ऐसी घटना अन्नदाता के साथ तो होनी ही नहीं चाहिए|

बहायें अर्क (पसीना) खेतों में, वो भी इन्सान ही तो हैं
गरीबों का पिए जो खून, वो शैतान ही तो हैं
दिन-रात करके एक, वो देते हमें जीवन
धरती पर कृषक के रूप में भगवन ही तो हैं ||